चंडीगढ़,7 फरवरी। मुनाफे में चल रहे चंडीगढ़ electricity department को निजी हाथों में सौंपने के खिलाफ सभी विपक्षी दल,ट्रेड यूनियन आदि लामबंद हो गए हैं।
(All opposition parties, trade unions, etc. have rallied against handing over the profitable Chandigarh electricity department to private hands.)
इन दल व संगठनों ने बिजली विभाग निजीकरण के खिलाफ 15 फरवरी को नागरिक धरना देने का फैसला लिया है।
electricity department के मुद्दे पर एकजुट हुए तमाम संगठन
electricity department से जुड़े मुद्दे पर तमाम दल, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, ट्रेड यूनियन एकजुट दिख रहे हैं।
इन्होंने संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री व केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के नाम ज्ञापन यूटी चंडीगढ़ प्रशासक को ज्ञापन सौंपने की घोषणा की है।
यह फैसला सोमवार को बिजली निजीकरण के खिलाफ आयोजित एक सेमिनार में लिया गया।
सेमिनार की अध्यक्षता यूनियन के प्रधान ध्यान चंद ने की।
सेमिनार में चंडीगढ़, पंजाब व हरियाणा के कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों के कई राजनीतिक दल के प्रतिनिधि शामिल हुए।
इनमें कांग्रेस,आप, शिरोमणि अकाली दल, सीपीआईएम, सीपीआई के प्रतिनिधि शामिल रहे।
इसी तरह ट्रेड यूनियन सीटू,एटक इंटक तथा रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के सेकंडों प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
इस दौरान बिजली निजीकरण के खिलाफ घर घर जाकर पर्चे वितरित करने का फैसला लिया गया।
सेमिनार में इस मुद्दे पर सांसद, मेयर , काउंसलर व सभी राजनीतिक दलों के आगुओं को ज्ञापन देने का ऐलान किया गया।
उल्लेखनीय है कि यूटी पावर मेन यूनियन चंडीगढ़ बिजली विभाग को निजी हाथों सौंपने के खिलाफ है।
यूनियन ने 21 फरवरी रात 11 बजे से तीन दिवसीय हड़ताल करने का ऐलान किया हुआ है।
सेमिनार में सर्व सम्मति से प्रस्ताव भी पारित हुआ।
इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाईज फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने चेतावनी दी इस मुद्दे पर सड़क पर उतरेंगे।
उन्होंने बिजली निजीकरण के फैसले को वापस लेने की मांग की।
लांबा ने ” सस्ती व अबाधित बिजली देकर भी मुनाफे में चल रहे बिजली विभाग का निजीकरण क्यों ? ” विषय पर पेपर प्रस्तुत किया।