चंडीगढ़, 5 जुलाई। राज्य के आबकारी विभाग ने बीते वर्ष से राज्य में शराब उत्पादक इकाईयों के कामकाज को सुचारू ढंग से चलाने के लिए विभाग की तरफ से आईआईटी रोपड़ के साथ हिस्सेदारी की गई है।
जिससे इन इकाईयों में मास फलो मीटरों के तकनीकी आडिट और ले-आउट के ढांचागत ऑडिट को अंजाम दिया जा सके।
आईआईटी रोपड़ के माहिरों की टीम द्वारा यह ऑडिट प्रक्रिया आज डेराबस्सी की मैसर्ज राजस्थान लिकुअरज लिमटिड से शुरू कर दी गई और 6 महीनों के दौरान राज्य की सभी उत्पादन इकाईयों को कवर करेगी।
इस ऑडिट का मकसद एक्स्ट्रा नियूटरल एलकोहल (ईएनए) की चोरी को रोकते हुए राज्य का राजस्व सुरक्षित करना है।
एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि इस निवेकली पहल के अंतर्गत एक स्वतंत्र संस्था की मदद से 16 डिस्टीलरियों, 4 बीयर बनाने के कारखाने और 25 बाटलिंग प्लांटों के सम्मिलन वाली उत्पादन इकाईयों के कामकाज की समीक्षा और आडिट किया जायेगा।
प्रवक्ता ने बताया कि एक्स्ट्रा नियूटरल एलकोहल (ई.एन.ए.)/डी नेचरड स्पिरिट/रैकटीफाईड स्पिरिट को ले जाने के लिए स्थापित इकाई और पाईपलाईनों की ढांचागत बनावट का आबकारी कानूनों के अनुसार होना जरूरी है।
हाल ही में मास फलो मीटरों को सभी डिस्टिलरियों, बाटलिंग प्लांटों और बीयर उत्पादक कारखाने में आबकारी विभाग की पहल पर स्थापित किया गया जिससे इन डिस्टिलरियों द्वारा उत्पादन की जाती ई.एन.ए. या अन्य शराब की किस्मों की मात्रा का सही पता लगाया जा सके जिनको बाद में बाटलिंग के लिए भेज दिया जाता है।
आबकारी अधिकारियों की तरफ से इन इकाईयों पर कड़ी निगाह रखी जाती है और किसी भी कमी आने की सूरत में इकाईयों के खिलाफ कार्यवाही की जाती है।
इन उत्पादन इकाईयों के कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए ही आईआईटी रोपड़ जैसी संस्था से थर्ड पार्टी ऑडिट करवाने का फैसला किया गया है।
तकनीकी माहिरों वाली एक टीम हर इकाई का ऑडिट करके अपनी रिपोर्ट देगी और पूरी गहराई से मास फलो मीटरों के कामकाज और ढांचागत बनावट की जांच करेगी।
इस ऑडिट का सारा खर्चा आबकारी विभाग की तरफ से किया जायेगा।