चंडीगढ़, 24 सितंबर। सरकार स्टील-रीसाइक्लिंग की दिशा में हरियाणा को अग्रणी राज्य बनाने के लिए प्रयासरत है।
यह बात उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने ‘पीएचडी चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स’ द्वारा वर्चुअली आयोजित ‘हरियाणा एनर्जी ट्रांजिशन समिट’ में कही।
उन्होंने कहा कि यह प्रयास इस लिए किया जा रहा है ताकि केंद्र सरकार के ‘स्वच्छ एवं हरित भारत’ के संकल्प को पूरा किया जा सके।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इस समय हरियाणा रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देने वाले उन चुनिंदा राज्यों में से एक है जिनमें वाहनों की सिस्टेमैटिक-स्क्रैपिंग और उसमें से स्टील की रीसाइक्लिंग पर काम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि रोहतक में तो करीब 150 करोड़ रुपए की लागत का एक प्लांट चालू भी हो चुका है।
जबकि कुछ अन्य बड़ी कंपनियों के साथ सार्थक बातचीत चल रही है।
डिप्टी सीएम ने कहा कि जब भारत सरकार वर्ष 2023-24 में अपनी वाहन स्क्रैपिंग नीति शुरू करेगी तो तब तक हरियाणा सरकार राज्य में ‘ऑटोमेटिक टेस्टिंग सेंटर’ और स्क्रैपिंग सुविधाओं के सहायक बुनियादी ढांचे को तैयार कर लेगी।
दुष्यंत चौटाला ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने ‘हरेडा’ की स्थापना की गई है, इससे आवास, वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्र में ऊर्जा के कुशल उपयोग के लिए हरित भवन के डिजाइनों को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने ‘सरल हरियाणा सोलर वॉटर पंप स्कीम 2021’ तैयार की है जिससे दो एचपी (सतह और सबमर्सिबल) और पांच एचपी (सबमर्सिबल) की क्षमता वाले सौर-पंप बना कर बेचने में हरियाणा के उद्योगों को भी अवसर मिलेगा।
डिप्टी सीएम ने बताया कि लाभार्थी कुल लागत का केवल 10 प्रतिशत देकर ‘पीएम कुसुम योजना सोलर वॉटर-पंप इंस्टॉलेशन स्कीम’ के तहत सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि हरियाणा उन अग्रणी राज्यों में से एक है जहां भवनों की कुछ श्रेणियों के लिए ‘सोलर रूफटॉप प्लांट’ की स्थापना करना अनिवार्य किया गया है।
उपमुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे देश का पहला ‘इलेक्ट्रिक-व्हीकल फ्रेंडली हाईवे’ बन गया है जिस पर सौर-आधारित इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं।
उन्होंने सभी उद्योगपतियों से आग्रह किया कि हमें उद्योगों में कम कार्बन वाले पदार्थ उपयोग में लाने चाहिएं।
दुष्यंत चौटाला ने बताया कि राज्य सरकार का मुख्य उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ाने और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से उत्पादन की लागत को कम करने पर ध्यान केंद्रित करना है।
उन्होंने बताया कि सभी जिलों विशेषकर दिल्ली के निकट के जिलों में उद्योगों के लिए सीएनजी, पीएनजी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और धीरे-धीरे उद्योगों को ईंधन के स्वच्छ तरीकों में स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
डिप्टी सीएम ने बताया कि वर्तमान में जो कंपनियां पारंपरिक ईंधन पेट्रोल, डीजल आदि से चलने वाले वाहन बना रही हैं, उनको भी अपनी तकनीक गैर-पारंपरिक ईंधन वाले वाहन के रूप में बदलने के लिए सहयोग व छूट दी जाएगी।