नई दिल्ली 19 नवंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा कर दी है।
साथ ही उन्होंने आंदोलनरत किसानों को घर लौटने का आह्वान किया है।
पीएम ने यह घोषणा सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी के 552वें प्रकाश पर्व के मौके पर की।
पीएम ने राष्ट्र के नाम संदेश के दौरान यह घोषणा की।
उल्लेखनीय है कि किसान करीब पिछले एक साल से इन तीनों कानूनों को वापस लेने के लिए आंदोलन चलाए हुए हैं।
इस दौरान सरकार व किसानों के बीच कई बार टकराव हुए।
तीन कृषि कानून के संदर्भ में पीएम ने यह कहा
मोदी ने कहा, “आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है।
उन्होंने बताया कि इस महीने होने जा रहे संसद सत्र में हम इन तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।”
पीएम ने किसानों से गुजारिश की कि वे आंदोलन खत्म कर अपने घर जाएं और परिवार के साथ गुरु पर्व मनाएं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि किसानों की दशा सुधारने के महाअभियान में देश में three agricultural laws लाए गए थे।
मकसद था कि देश के किसानों को, खासकर छोटे किसानों को, और ताकत मिले।
किसानों को अपनी उपज की सही कीमत व उपज बेचने के लिए ज्यादा विकल्प मिलें।
बरसों से ये मांग किसान, कृषि विशेषज्ञ व किसान संगठन लगातार कर रहे थे।
पहले भी कई सरकारों ने इस पर विचार किया था।
मोदी ने कहा कि इस बार भी संसद में चर्चा हुई और ये कानून लाए गए।
उस दौरान देश के कोने-कोने में किसानों, अनेक किसान संगठनों ने इसका समर्थन किया।
पीएम ने कहा कि हमारी सरकार किसानों के कल्याण के लिए नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी।
लेकिन, किसानों के हित की बात हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।”
उन्होंने कहा, किसानों को उनकी मेहनत के बदले उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए भी अनेक कदम उठाए गए।
हमने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तो बढ़ाया ही, साथ ही साथ रिकॉर्ड सरकारी खरीद केंद्र भी बनाए।
पीएम ने यह भी की घोषणा
उन्होंने यह घोषणा भी की कि आज ही सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक और अहम फैसला लिया है।
जीरो बजट खेती को बढ़ावा देने, क्रॉप पैटर्न को वैज्ञानिक तरीके से बदलने आदि के लिए MSP को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।
इस तरह के सभी विषयों पर निर्णय लेने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा।
इस समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, किसान, कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री सदस्य होंगे।