वर्षों से स्थापित अनाधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को मनोहर सरकार ने दी बड़ी राहत
चंडीगढ़, 17 नवंबर- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के नेतृत्व व कुशल प्रशासक के रूप में उनके मार्गदर्शन के अनुरूप विगत 9 वर्षों में हरियाणा में संस्थागत शहरी विकास की ओर अग्रसर हुआ है। भविष्य की लक्षित जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए शहरों में आवासीय, वाणिज्यिक और संस्थानों के अनुपातिक कॉलोनियों के विकास की योजना तैयार कर कॉलोनियों के निवासियों के लिए मूलभूत आवश्यकताएं व अन्य सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। इसी कड़ी में वर्षों से स्थापित अनाधिकृत कॉलोनियों के निवासियों की आवश्यकताओं के दृष्टिगत मनोहर सरकार ने बड़ी राहत देते हुए ऐसी कॉलोनियों को नियमित करने की कवायद शुरू की।
मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार शहरी स्थानीय निकाय तथा नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग के द्वारा न केवल अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित किया गया है बल्कि इन कॉलोनियों में ढांचागत विकास के लिए 3 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि का भी प्रावधान किया है, जिससे कॉलोनियों के निवासियों को बिजली व पानी सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं प्रदान होंगी। वर्ष 2014 तक कांग्रेस सरकार के 10 साल के कार्यकाल के दौरान केवल 874 अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित किया गया था जबकि वर्तमान राज्य सरकार ने वर्ष 2014 से अब तक 2547 कॉलोनियों को नियमित करने का काम किया है। इसके अलावा, प्रदेश में अवैध कॉलोनियों का विकास न हो, इसके लिए सरकार ने सख्ती बरती है और ऐसी कॉलोनियों की संख्या पर अंकुश लगाने के लिए ड्रोन व सैटेलाइट इमेजरी के माध्यम से भी नजर रखी जा रही है।
हरियाणा में वर्षों से पालिकाओं की जमीन पर बने मकानों और दुकानों की मलकीयत न होने से व्यक्तियों को कई समस्याओं व कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था। उनकी कठिनाईयों को समझते हुए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने एक नई नीति बनाने पर विचार किया। फलस्वरूप हरियाणा सरकार शहरी स्वामित्व योजना लेकर आए, जिसके तहत क्लेक्टर रेट से भी कम रेट की अदायगी करने पर 20 साल से अधिक समय से काबिज व्यक्तियों का किराये या लीज अथवा लाइसेंस फीस पर चल रही पालिकाओं की दुकानों व मकानों की मलकियत प्रदान की गई।
मुख्यमंत्री की धरातल पर विकासात्मक परियोजनाओं को गति देने के लिए शक्तियों के विकेंद्रीकरण की सोच ने आज शहरों में न केवल विकास की गति को बेहतर किया है बल्कि शहरी स्थानीय निकाय भी पहले से अधिक सशक्त हुई हैं। इसी कड़ी में एक बड़ा फैसला लेते हुए वर्तमान राज्य सरकार ने पहली बार मेयर या अध्यक्ष के लिए सीधे चुनाव करवाने का प्रावधान किया। इतना ही नहीं, शहरी स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति मजबूत करने के लिए भी संपत्ति के पंजीकरण पर 2 प्रतिशत राजस्व देने का प्रावधान किया गया। संस्थागत शहरी विकास को बढ़ावा देने की दिशा में शहरों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए गुरुग्राम, पंचकूला, सोनीपत व फरीदाबाद में मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी का गठन किया गया। राज्य सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं की तर्ज पर शहरी स्थानीय निकायों में भी पिछड़ा वर्ग-ए को 8 प्रतिशत आरक्षण दिया। स्वावलंबी स्थानीय निकाय एवं शहरी विकास हरियाणा सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है।
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने सरकार और जनता के बीच एक अहम भूमिका निभाने वाले जनप्रतिनिधियों का सम्मान करते हुए नगर निगमों के मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर, डिप्टी मेयर, काउंसलर्स, नगर परिषद के अध्यक्षों सहित सदस्यों के मानदेय को बढ़ाने का निर्णय लिया। तदानुसार राज्य सरकार ने मेयर के मानदेय को 20,500 रुपये मासिक से बढ़ाकर 30,000 रुपये किया है। इसी प्रकार, सीनियर डिप्टी मेयर का मानदेय 16,500 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये, डिप्टी मेयर का मानदेय 13,000 रुपये से बढ़ाकर 20,000 रुपये तथा पाषर्दों का मानदेय 10,500 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये किया है।
इसके साथ ही, नगर परिषद के अध्यक्ष का मानदेय भी बढ़ाकर 18,000 रुपये किया गया है, जोकि पहले 10,500 रुपये मासिक था। इसी प्रकार, उपाध्यक्ष का मानदेय 7,500 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये, पार्षदों का मानदेय 7,500 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये किया है। इसी कड़ी में नगर समितियों के अध्यक्ष का मानदेय 6,500 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये, उपाध्यक्ष का मानदेय 4,500 रुपये से बढ़ाकर 8,000 रुपये तथा पार्षदों का मानदेय भी 4,500 रुपये से बढ़ाकर 8,000 रुपये किया है।
पिछले 9 सालों में हरियाणा ने संस्थागत शहरी विकास की दिशा में कई कदम उठाए हैं, जो इस राज्य के शहरों को मौद्रिक और सुरक्षित बनाने के लिए किए गए हैं। स्मार्ट सिटी परियोजनाएं, सार्वजनिक परिवहन, भूमि और शहरी नियोजन इत्यादि कदमों से हरियाणा ने शहरों का योजनाबद्ध और सुरक्षित विकास सुनिश्चित किया है।