हरियाणा के पूर्व सीएम को जेबीटी टीचर भर्ती घोटाले में हुई थी 10 साल की कैद
चंडीगढ़, 23 जून। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला की सजा पूरी हो गई है। उन्हें जेबीटी टीचर्स भर्ती घोटाले में साल 2013 में दस साल की सजा हुई थी जो मंगलवार रात पूरी हो गई।
यह खबर जहां हरियाणा की राजनीति के लिए अहम है वहीं लंबे समय से संघर्ष कर रही इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के लिए बहुत बड़ी राहत लेकर आई है। पार्टी में निश्चित तौर पर इस सूचना पर जोश का माहौल पैदा हो गया है।
उल्लेखनीय है कि ओमप्रकाश चौटाला इस समय पेरोल पर बाहर हैं। इधर, तिहाड़ जेल प्रशासन ने चौटाला के वकील अमित साहनी को चौटाला की सजा पूरी होने की जानकारी दी।
वकील ने बताया कि पैरोल पर होने के कारण ओम प्रकाश चौटाला कुछ कागजी कार्रवाई पूरी होते ही आधिकारिक तौर पर रिहा हो जाएंगे।
चौटाला साल 2013 में जेबीटी भर्ती घोटाले में 10 साल की सजा सुनाई गई थी। इस बीच साल 2018 में केंद्र सरकार ने एक नया नियम बनाया था कि 60 साल या उससे अधिक के ऐसे पुरुष कैदियों, जिन्होंने अपनी आधी सजा पूरी कर ली है, उन्हें विशेष माफी योजना के तहत रिहा किया जाएगा।
चौटाला ने दिल्ली हाईकोर्ट में इस नियम के आधार पर याचिका दायर की थी कि उनकी 5 साल से ज्यादा की सजा पूरी हो चुकी है। उनकी उम्र भी 89 साल है। वह अप्रैल 2013 में 60 फीसदी दिव्यांग हो चुके थे और जून 2013 में पेसमेकर लगाए जाने के बाद से वह 70 फीसदी से ज्यादा दिव्यांग हो चुके हैं।
इस तरह से वे जल्द रिहाई की सभी शर्तों को पूरा कर रहे हैं। इसलिए अब उनकी सजा माफ की जाए।
क्या था जेबीटी घोटाला
नवंबर, 1999 में हरियाणा में 3206 शिक्षक पदों का विज्ञापन जारी हुआ।
अप्रैल 2000 में रजनी शेखर सिब्बल को प्राथमिक शिक्षा निदेशक नियुक्त किया गया।
जुलाई 2000 में रजनी शेखर को पद से हटाकर संजीव कुमार को निदेशक बनाया गया।
दिसंबर 2000 में भर्ती प्रक्रिया पूरी हुई और 18 जिलों में जेबीटी शिक्षक नियुक्त हुए।
जून 2003 में संजीव कुमार इस मामले में धांधली होने का हवाला देकर मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गए।
नवंबर 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच करने के आदेश दिए।
मई 2004 में सीबीआई ने जांच शुरू की।
जुलाई 2011 में सभी आरोपितों के खिलाफ चार्ज फ्रेम हुए
दिसंबर 2012 में केस की सुनवाई पूरी हुई।
16 जनवरी 2013 को ओमप्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय चौटाला समेत 55 दोषी करार दिए गए।
22 जनवरी को 10-10 साल की सजा सुनाई गई।
चौटाला के जेल जाते ही संघर्ष से जूझी इनेलो
चौटाला के जेल जाते ही इनेलो के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया था। चौटाला के साथ उनके बड़े बेटे अजय चौटाला तथा इनेलो के कुछ वरिष्ठ नेताओं को भी सजा हुई थी। बाद में पार्टी की कमान चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला ने संभाली।
उन्होंने न केवल कार्यकर्ताओं में जोश भरा बल्कि कई मौकों पर अपनी चिरपरिचित राजनीतिक शैली के चलते विरोधियों पर भी मनोवैज्ञानिक दबाव खड़े किए।
हालांकि पार्टी के सामने सबसे बड़ा संकट उस समय आया जब दिग्गज चौटाला परिवार में विघटन हो गया और अजय चौटाला और अभय चौटाला की राहें अलग हो गईं।
विघटन भी भारी कड़वाहटों के बीच हुआ और अभय चौटाला तथा भतीजों दुष्यंत चौटाला तथा दिग्विजय चौटाला के साथ उनका तीखे विवाद हुए। दुष्यंत चौटाला ने अलग से जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) बना ली जो इस समय बीजेपी के साथ सत्ता में भागीदार है।