चंडीगढ़, 9 जुलाई। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने 380 करोड़ रुपए जारी किए जो कोविड महामारी की संभावित तीसरी लहर की तैयारी के लिए खर्च किए जाएंगे।
राज्य में कोविड की स्थिति की वर्चुअल समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने 674 जी.डी.एम.ओ., 283 मैडीकल अफ़सर (स्पैशलिस्ट), 2000 स्टाफ नर्स के साथ पटियाला और अमृतसर के मैडीकल कॉलेज में 330 फेकल्टी पद भरने की भी हरी झंडी दी।
उन्होंने विभागों को यह भी कहा कि अन्य ज़रूरी अतिरिक्त पदों को भरने के लिए प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाये जिससे खाली पदों को जल्द से जल्द भरा जाये।मुख्यमंत्री द्वारा मंजूर किये गए 380 करोड़ रुपए पी.एस.ए. ऑक्सीजन प्लांटों, एम.जी.पी.एस. लोड एन्हांसमेंट और पैकेज सबस्टेशनों, क्रायोजैनिक लिक्विड मैडीकल ऑक्सीजन टैंकों के साथ बी.एल.एस. एबूलैंसों पर खर्च किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि कोविड के खि़लाफ़ राज्य सरकार की जंग में फंड को कभी भी रुकावट नहीं बनने देंगे और भविष्य में भी ज़रूरत के मुताबिक फंड जारी किये जाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य द्वारा तीसरी लहर का मुकाबला करने के लिए दूसरी लहर के मरीज़ों की अपेक्षा 25 प्रतिशत और अधिक मरीज़ों के हिसाब से तैयारी की गई है।
मुख्यमंत्री ने विभागों को निर्देश दिए कि प्रति दिन कम-से-कम 40000 टैस्टों के साथ किसी भी उभार बारे समय पर जानकारी हासिल करने के लिए स्मार्ट टेस्टिंग शुरू करना यकीनी बनाया जाये।
तीसरी लहर की रोकथाम और मुकाबला करने के लिए माहिरों के साथ सलाह परामर्श करके स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभागों द्वारा तैयार की गई विस्तृत रणनीति की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली स्थिति में जी.आई.एस. आधारित निगरानी और रोकथाम तरीकों का प्रयोग स्थानीय बन्दिशों के लिए ऑटो ट्रिगर विधि के द्वारा की जायेगी। दूसरी स्थिति में अगर ज़रूरत पड़े तो क्षेत्रीय या राज्य स्तरीय बन्दिशें लगाई जाएंगी।
उन्होंने कहा कि खतरे के स्तर के आधार पर ज़िलों का वर्गीकरण करते हुए तीन वर्गों में बँटा जायेगा जिससे जिलों को वैज्ञानिक आधार पर रोक लगाने और पाबंदियाँ लागू करने के योग्य बनाया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि आंकड़े इकठ्ठा करने और इनका विश्लेषण करने के लिए हर जिले में डाटा सेल सक्रिय किया जाए।
मुख्य सचिव विनी महाजन ने मीटिंग में जानकारी दी कि फंड और ऑक्सीजन प्लांट ज़रुरी तौर पर मुहैया करवाए गए हैं ताकि कोई भी कमी न आने देने को यकीनी बनाया जाए।