चंडीगढ़, 30 सितंबर। हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा है कि खरीफ सीजन में फसल खरीद प्रबंधन में सरकार की घोर विफलता के कारण धान उत्पादक किसान खून के आंसू रो रहे हैं।
धान का कटोरा कहे जाने वाले पांच जिलों, कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल, अंबाला और यमुनानगर के किसान मंडियों में लाखों क्विंटल धान बिक्री के लिए ला चुके हैं, लेकिन सरकार की ओर से एक दाना भी नहीं खरीदा गया। अन्य जिलों में भी अराजकता-अव्यवस्था का यही आलम है।
जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि पहले कहा गया था कि 25 सितंबर से धान की खरीद शुरू हो जाएगी, अब किसानों को आश्वासन दिया जा रहा है कि एक अक्टूबर से धान खरीद शुरू हो जाएगी। बार बार वादाखिलाफी करने वाली सरकार के इस आश्वासन पर किसानों को जरा भी विश्वास नहीं।
कुमारी सैलजा ने कहा कि पांच जिलों की मंडियों में इस समय 12 लाख क्विंटल से अधिक धान खुले में पड़ा है, किसान दस दिनों से दिन रात उसकी रखवाली कर रहे हैं, मौसम लगातार डरा रहा है, सरकार की लापरवाही से साल भर की पूंजी खराब होने के डर से बेचारे किसानों के प्राण सूख रहे हैं। कहीं न कहीं धरतीपुत्रों का आक्रोश फूट भी रहा है। बार बार केवल आश्वासन मिलने से गुस्साए किसानों ने थानेसर में मार्केट कमेटी कार्यालय पर ताला जड़ दिया। वहां फिर आश्वासन का झुनझुना थमा दिया गया कि एक अक्टूबर से हर हाल में खरीद शुरू हो जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि अभी तक उनके पास धान खरीद की नीति नहीं आई, वे खरीद शुरू नहीं कर सकते। खरीद नीति आने के बाद चावल मिलों की ओर से भी संशोधन रखे जाते हैं, वे सरकार के पास भेजे जाएंगे, हां-ना में सरकार का जवाब आएगा। इस तमाम कवायद के बीच किसान की हालत क्या होगी, सरकार को छोड़ कर हर कोई समझ सकता है।
कुमारी सैलजा ने कहा, निष्कर्ष तो यह है कि खरीफ सीजन में सरकार ने फसल खरीद की तैयारी ही नहीं की। सरकार कुशल प्रबंधन केवल एक दिशा में दिखा रही है कि किसानों की तकलीफें कैसे बढ़ाई जाएं? कभी परंपरागत फसलें त्यागने के लिए प्रलोभन दिया जा रहा है तो कभी फसल खरीद न करने का ऐलान होता है। कृषि प्रधान राज्य में किसानों को हर स्तर पर प्रताड़ित करने से सरकार को बाज आना चाहिए।