ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि इस घपले में आरटीए (संगरूर), एमवीआई, उनका अमला और प्राइवेट व्यक्तियों की मिलीभगत सामने आई है जो राज्य सरकार के निर्धारित नियमों की पालना करने की जगह एक दूसरे के साथ मिलकर अलग-अलग किस्मों के वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने के बदले राज्य में काम कर रहे अलग-अलग एजेंटों से रिश्वत लेते थे।
उन्होंने बताया कि परिवहन विभाग के नियमों अनुसार सभी व्यापारिक वाहनों को सड़कों पर चलने के लिए आरटीए दफ़्तर से फिटनेस सर्टिफिकेट लेना पड़ता है और ऐसे सभी वाहनों को दस्तावेज़ों समेत एम. वी. आई. द्वारा अपने दफ़्तर में मौके पर निरीक्षण करना होता है।
घपले की रूपरेखा का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि यह अधिकारी एजेंटों और मध्यस्थों की मिलीभगत से वाहनों की मौके पर फिजिकल वेरिफिकेशन किये बिना ही वाहन के मॉडल के हिसाब से 2800 रुपए से लेकर 1000 रुपए प्रति वाहन रिश्वत के बदले फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करते आ रहे हैं। इस तरह आर. टी. ए और एम. वी. आई. द्वारा निर्धारित स्थान पर वाहन खड़े करवाने की जगह और उनकी मौके पर भौतिक जांच किये बिना ही दस्तावेज़ों के आधार पर वाहनों को पास किया जा रहा था।
प्रवक्ता ने आगे बताया कि इस सम्बन्धी प्राप्त हुई शिकायतों के आधार पर विजीलैंस ब्यूरो की टीम ने एम. वी. आई संगरूर के दफ़्तर की अचानक जांच की जिसमें इस घोटाले की परतें खुलीं। इस मामले में विजीलैंस ब्यूरो ने मौके पर ही 3 मुलजिमों को काबू कर लिया जिनमें धर्मेंद्र पाल उर्फ बंटी (एजेंट) निवासी संगरूर, क्लर्क गुरचरन सिंह और डाटा एंट्री आपरेटर जगसीर सिंह के इलावा करीब 40 हज़ार रुपए रिश्वत की राशि और घोटाले से सम्बन्धित कई दस्तावेज़ भी बरामद किये हैं।
उन्होंने बताया कि इस मामले में रविन्द्र सिंह गिल आरटीए, महेंद्र पाल एमवीआई, गुरचरन सिंह क्लर्क, जगसीर सिंह डाटा एंट्री ऑपरेटर, धर्मेंद्र पाल उर्फ बंटी और सुखविंदर सुखी दोनों मध्यस्थों और अन्य प्राइवेट एजेंटों के विरुद्ध विजिलेंस ब्यूरो के थाना पटियाला में मुकदमा दर्ज किया गया है।
अब तक की प्राथमिक जांच के दौरान सामने आया है कि यह घोटाला पिछले 7-8 सालों से चल रहा था और हर महीने 2000-2500 से अधिक वाहनों के फिटनैस सर्टिफिकेट जारी किये जा रहे थे जबकिएक व्यक्ति की तरफ से इतने समय में इतनी बड़ी संख्या में वाहनों का मौके पर मुआइना करना संभव नहीं है। इस तरह इस समय के दौरान हर महीने अंदाज़न 35-40 लाख रुपए की रिश्वत की रकम हासिल की गई जिससे यह मामला करोड़ों रुपए में जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्धी आगे जांच जारी है और इस दफ़्तर में पहले से तैनात सभी अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जायेगी और कानून अनुसार सख़्त कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।