दादा की रिहाई की आड़ में दिग्विजय ने कांग्रेस पर साधा निशाना
चौ. ओमप्रकाश चौटाला की रिहाई हम सबके लिए राहत और खुशी भरी खबर – दिग्विजय चौटाला
दादा हमारे आदर्श, उनकी उंगली पकड़कर सीखी हमने राजनीति – दिग्विजय चौटाला
चंडीगढ़, 23 जून। दादा ओपी चौटाला की रिहाई पर पोता दिग्विजय खुश हैं।
इनेलो से अलग हुई जेजेपी के प्रदेश प्रधान महासचिव दिग्विजय सिंह चौटाला ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए एक बयान जारी किया है। उन्होंने दादा की रिहाई की आड़ में कांग्रेस पर निशाने साधे हैं और ये बयान सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
जेजेपी यानि जननायक जनता पार्टी हरियाणा की राजनीति के दिग्गज चौटाला परिवार में विघटन के फलस्वरूप अस्तित्व में आई थी।
उल्लेखनीय है कि ओमप्रकाश चौटाला को बड़े बेटे अजय चौटाला की अगुवाई में जेजेपी का गठन नागंवार गुजरा था और उन्होंने कई मौकों पर अपनी भावनाएं भी जाहिर की हैं।
चौटाला ने कहा है कि दादा की रिहाई हम सबके लिए राहत और खुशी से भरी है। ओमप्रकाश चौटाला ने उम्र के इस पड़ाव में भी कांग्रेसी षड्यंत्र से मिली जेल रूपी चुनौती का दृढ़ता से सामना किया और उनका वैचारिक संघर्ष जेल से भी जारी रहा।
उन्होंने कहा कि ऐसे में आज उन्हें जेल से रिहाई मिली है जो कि हमारे परिवार, सभी कार्यकर्ता और किसान, कमेरे वर्ग की विचारधारा से जुड़े लोगों के लिए खुशी का पल है।
उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई दिग्विजय ने कहा कि ओमप्रकाश चौटाला हमारे आदर्श हैं और उनका संघर्ष हम सभी के लिए एक मिसाल है। हम लोग चौ. ओमप्रकाश चौटाला जी की उंगली पकड़कर राजनीति में आए और उनकी सीख व आशीर्वाद की बदौलत ही राजनीति में खड़े हो पाए।
जेजेपी प्रदेश प्रधान महासचिव ने कहा कि मेरे दादा व पिता के खिलाफ कांग्रेसियों द्वारा रचा गया षड्यंत्र किसान-कमेरे वर्ग की विचारधारा पर दूषित मानसिकता का प्रहार था।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस व विशेषकर पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा द्वारा यह षड्यंत्र सत्ता में बने रहने के उद्देश्य से रचा गया था, जिसे पूरा हरियाणा जानता है।
दिग्विजय ने कहा कि ओमप्रकाश चौटाला व डॉ. अजय सिंह चौटाला के जेल जाने के बाद प्रदेश की जनता ने इसका हिसाब कांग्रेस से हर चुनाव में लिया।
उन्होंने कहा कि परिवार के खिलाफ रचे गए षड्यंत्र के बाद कांग्रेस व मुख्य साजिशकर्ता भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनके पुत्र दीपेंद्र हुड्डा, रणदीप सुरजेवाला व करण सिंह दलाल को अपने गढ़ में भी हार का सामना करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि इससे साबित हुआ है कि आज के दिन राजनीति में द्वेष भावना के लिए कोई जगह नहीं है।